एक छोटे से गाँव में, राज और प्रिया के बीच एक अलग ही बंधन था। राज, जो कि प्रिया का देवर था, उसकी हर मुसीबत में साथ देता था। प्रिया और राज की बॉन्डिंग भले ही एक पारिवारिक रिश्ता थी, लेकिन उनके बीच एक गहरी दोस्ती और समझ थी।
एक दिन, सावन का मौसम था और बारिश हो रही थी। पूरा गाँव बारिश की बूँदों से भर गया था। प्रिया अपने कमरे के झरोखे से बाहर देख रही थी और राज, जो कि अभी-अभी घर आया था, उसने प्रिया को ऐसे देखते हुए पाया।
राज: “भाभी, बारिश में भीगने का मजा कुछ और ही होता है। चलो न, बाहर चलते हैं।”
प्रिया: “नहीं राज, अब हम बड़े हो गए हैं। अब ये सब बचपना हमारे लिए नहीं।”
राज: “अरे भाभी, एक दिन के लिए फिर से बचपन जी लेते हैं। चलने दो न।”
राज ने प्रिया का हाथ पकड़ा और उसे खींचकर बाहर ले गया। दोनों ने मिलकर बारिश का मजा लेना शुरू किया। राज ने अपने हाथ ऊपर उठाए और जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “बारिश, तुम्हारा स्वागत है!”
प्रिया हंसने लगी और राज के साथ मिलकर बारिश में भीगने लगी। बारिश की बूँदें उनके चेहरे पर गिर रही थीं, और उस पल में दोनों सब कुछ भूल गए। प्रिया का दुपट्टा राज के हाथ में आया और उन्होंने उसे संभाल कर रख दिया। उसके बाद दोनों ने मिलकर रंग-बिरंगी छतरी लेकर गाँव की गलियों में चलने लगे।
राज: “भाभी, तुम्हें पता है, मुझे बचपन से ही बारिश का बहुत शौक था। जब भी बारिश होती थी, मैं बस निकल पड़ता था।”
प्रिया: “और मुझे भी, राज। पर समय के साथ हमने अपने सपनों और शौकों को पीछे छोड़ दिया।”
राज: “पर भाभी, कभी-कभी अपने अंदर के बचपन को जिंदा रखना जरूरी होता है।”
दोनों ने मिलकर बारिश में नाचा, खेला और फिर थककर एक छत के नीचे आ गए। राज ने अपने हाथ से प्रिया के बालों से पानी हटाया। दोनों के बीच एक नई समझ और नई मिठास आ गई थी। राज और प्रिया ने मिलकर उस दिन को यादगार बना दिया।
बारिश रुकी और दोनों घर लौट आए। प्रिया ने राज को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “आज के दिन के लिए शुक्रिया, राज। तुमने मुझे मेरे बचपन की याद दिला दी।”
राज भी मुस्कुराया और बोला, “आपके साथ हर पल यादगार बन जाता है, भाभी।”
इस तरह, एक बारिश भरे दिन ने राज और प्रिया के बीच एक नई कहानी को जन्म दिया, जिसमें दोस्ती और प्यार की एक खूबसूरत दास्तान लिखी गई।
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